Tuesday, November 7, 2017

पूनम की रात को भी चाँद गायब हो गया


अमावस की रात को चाँद का गायब होना
कोई नई बात नहीं
जहरीली हवाओं की धुंध इतनी छाई
पूनम की रात को भी चाँद गायब हो गया|

दिल में सभी के मोहब्बत रहती है
कोई नई बात नहीं
हमने मोहब्बत इंसानियत से की
ये गजब हो गया|

कहते हैं दर्द बयां करने से कम होता है
हमने बयां किया
दर्द तो कम न हुआ
लोग कहने लगे, मैं शायर हो गया|

इश्क-रश्क-माशूक की मोहताज नहीं
शायरी वो ज़ज्बा है अरुण
मशाल भी है, इंक़लाब भी है,
जिसे लगी 'चाहत' वतन की, सरफरोश हो गया |

अरुण कान्त शुक्ला, 8/1/2017 

15 comments:

  1. नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 09-11-2017 को प्रातः 4:00 बजे प्रकाशनार्थ 846 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

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  2. धन्यवाद यादव जी | अवश्य कोशिश करूंगा | सुबह 4 बजे मेरे लिए शीघ्र हो जाता है|

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई और शुभकामनायें।

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  4. वाह! बहुत सुन्दर

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  5. वाह!बहुत सुंदर कविता

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    1. धन्यवाद अपर्णा जी|

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  6. सुन्दर रचना.

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  7. दर्द बयान करना शायर हो जाना ही है ... पर ये कह सब आगे निकल जाते हैं दर्द कोई नहीं देखता ... लाजवाब लिखा हिया ...

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