Monday, October 29, 2012

ठीक से शफल करो यार,




वो पांच हैं,
65
वर्ष से जुआं खेल रहे हैं,
तीन पत्ती,
उनमें से एक हर बार हारता है,
उसके पास हमेशा दो तीन पांच ही आता है,
उसने उनमें से एक से कहा,
ठीक से शफल करो यार,
तुम तीनों के पास हमेशा आते हैं तीन इक्के,
और मेरे पास दो तीन पांच,

मेरे बाप के पास भी ये ही आता था,
वो भी हारता था,
उसके बाप के पास,
और फिर उसके बाप के बाप के पास,
और फिर उसके बाप के बाप के पास भी,
दो तीन पांच ही आता था,
वो भी हारता था,
मैं भी हारता हूँ ,

ठीक से शफल करो यार,
उस एक ने फिर से शफल किया,
मुस्करा कर पत्ते बाँट दिये,
फिर उन तीनों के पास तीन इक्के थे,
और, उस चौथे के पास फिर,
दो तीन पांच था,

चौथा, पांचवे के पास गया,
बोला, आप तो न्यायप्रिय हो,
गड्डी में तो चार ही इक्के होते है,
फिर इन तीनों के पास बाकी कहाँ से आते हैं?
वो मुस्करा दिया,
अपने पास की गड्डी निकाली,
शफल किया और पत्ते बाँट दिये,
उन तीनों के पास फिर तीन इक्के थे,
चौथे के पास फिर दो तीन पांच थे,

बुझो वो तीनों कौन थे?
जिनके पास हमेशा तीन इक्के आते थे,
और वो पांचवा कौन है ?
जिसने पहली तीनों को तीन इक्के बांटे,
और वो चौथा कौन है?
पुरखों से जिसके हिस्से में दो तीन पांच ही आते हैं,
और गड्डी में कुल कितने पत्ते हैं?

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